रूस में जीतने की क्षमता ही नहीं… मॉस्को बना कंधा डीप स्टेट पर निशाना, तुलसी गबार्ड का ये कैसा कमेंट
Tulsi Gabard on Russia Ukraine War: अमेरिका की नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर तुलसी गबार्ड ने कहा है कि रूस के पास यूक्रेन को जीतने और उस पर कब्जा करने की क्षमता नहीं है. उन्होंने डीप स्टेट पर निशाना साधते हुए इस दावे को भी खारिज किया कि मॉस्को आगे चलकर यूरोप पर हमला कर सकता है और ऐसे दावों को डर फैलाने वाला व भ्रामक बताया.
Tulsi Gabard on Russia Ukraine War: रूस की यूक्रेन पर चढ़ाई और युद्ध की शुरुआत हुए अब लगभग 4 साल पूरे होने को हैं. 22 फरवरी से शुरू हुई लड़ाई में अब तक रूस यूक्रेन के लगभग 20% हिस्से पर ही कब्जा कर पाया है. चूंकि रूस की सैन्य क्षमता यूक्रेन के आगे कहीं ज्यादा मानी जाती है, लेकिन चार साल में कुछ ही हिस्सों पर नियंत्रण हासिल कर पाने पर अमेरिका ने तंज कसा है. यह ऐसा तंज है, जिससे यूरोप पर भी निशाना साधा गया. अमेरिका की नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर तुलसी गबार्ड ने कहा है कि रूस के पास यूक्रेन को जीतने और उस पर कब्जा करने की क्षमता नहीं है. उन्होंने इस दावे को भी खारिज किया कि मॉस्को आगे चलकर यूरोप पर हमला कर सकता है और ऐसे दावों को डर फैलाने वाला व भ्रामक बताया.
एक्स (ट्विटर) पर किए गए पोस्ट में गबार्ड ने कहा कि अमेरिकी खुफिया आकलन इस तरह की कहानियों का समर्थन नहीं करते, जिनमें यह कहा जा रहा है कि रूस यूरोप के लिए तात्कालिक खतरा है. उन्होंने लिखा, “सच्चाई यह है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का आकलन है कि रूस के पास यूक्रेन को जीतने और उस पर कब्जा करने की भी क्षमता नहीं है, तो यूरोप पर हमला कर उसे कब्जे में लेने की बात तो बहुत दूर है.” गबार्ड ने कहा कि “डीप स्टेट के युद्ध समर्थक” और पश्चिमी मीडिया के कुछ वर्ग रूस से खतरे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहे हैं.
उनका कहना था कि ऐसा युद्ध समर्थक नीतियों को सही ठहराने और डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में चल रहे शांति प्रयासों को पटरी से उतारने के लिए किया जा रहा है. गबार्ड के अनुसार, ये समूह गलत तरीके से यह दावा कर रहे हैं कि अमेरिकी खुफिया समुदाय भी यूरोपीय संघ और नाटो के कुछ हिस्सों की उस राय का समर्थन करता है, जिसमें कहा जाता है कि रूस यूरोप पर हमला करने और उसे जीतने की मंशा रखता है.
उन्होंने कहा कि इस तरह की बातें खुफिया आकलनों पर आधारित नहीं हैं, बल्कि टकराव को बनाए रखने के उद्देश्य से फैलाई जा रही हैं. गबार्ड ने गोपनीय खुफिया जानकारियों का कोई विस्तृत विवरण नहीं दिया, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि खतरे के आकलन को गलत तरीके से पेश करना यूक्रेन युद्ध को खत्म करने और पूरे क्षेत्र में स्थिरता लाने के कूटनीतिक प्रयासों को नुकसान पहुंचा सकता है.
Deep State warmongers and their Propaganda Media are again trying to undermine President Trump’s efforts to bring peace to Ukraine—and indeed Europe—by falsely claiming that the ‘U.S. intelligence community’ agrees to and supports EU/NATO viewpoint that Russia’s aim is to…
— Tulsi Gabbard 🌺 (@TulsiGabbard) December 20, 2025
रूस यूक्रेन और उससे आगे की सोच रखता है?
यह बयान ऐसे समय आया है, जब रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई जारी है और वॉशिंगटन व यूरोप में सैन्य सहायता, प्रतिरोधक रणनीति और संघर्ष को समाप्त करने के लिए बातचीत की संभावनाओं पर बहस चल रही है. हालांकि कुछ रिपोर्ट्स में अमेरिकी खुफिया आकलनों के हवाले से दावा किया गया कि भले ही रूस के पास पूरे यूरोप पर आक्रमण करने की क्षमता न हो, लेकिन राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के यूक्रेन को लेकर रणनीतिक उद्देश्य अब भी नहीं बदले हैं. उनका आकलन है कि पुतिन अब भी यूक्रेन को अपने अधीन लाने की कोशिश में हैं, भले ही युद्ध के मैदान में हुए नुकसान, जनशक्ति की कमी और कीव को मिल रहे पश्चिमी सैन्य समर्थन के कारण उनके तात्कालिक सैन्य लक्ष्य सीमित हो गए हों.
क्रेमलिन, पुतिन और दिमित्रिएव सबने नकारा
हालांकि रशिया टुडे को दिए गए इंटरव्यू में क्रेमलिन ने सभी आरोपों को पूरी तरह नकारते हुए इसे पूरी तरह बेबुनियाद और निराधार बताया. रूस का आरोप है कि पश्चिमी देश ऐसे बयानों का इस्तेमाल अपनी जनता के सामने रक्षा और सैन्य बजट में बढ़ोतरी को सही ठहराने के लिए कर रहे हैं. पुतिन ने भी इशारा किया कि रूस यूक्रेन युद्ध अब रुकने की कगार पर है. हालांकि उन्होंने यूरोपीय नेताओं पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने बीते दिनों उन्हें नौसिखिया सुअर तक कह दिया था.
उन्होंने कहा कि जो बाइडेन के काल में रखे गए इस युद्ध की नींव के पीछे-पीछे ये नेता चले आए. उन्होंने सोचा कि रूस के पतन का फायदा उन्हें मिल पाएगा. वहीं, तुलसी गैबार्ड के बयान का समर्थन करते हुए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विशेष प्रतिनिधि किरिल दिमित्रिएव ने कहा कि गैबार्ड न सिर्फ ओबामा-बाइडन दौर में गढ़ी गई तथाकथित ‘रूस होक्स’ की सच्चाई सामने ला रही हैं, बल्कि उस ‘डीप स्टेट’ का भी पर्दाफाश कर रही हैं, जो ब्रिटेन और यूरोपीय संघ में रूस विरोधी डर का माहौल बनाकर तीसरे विश्व युद्ध की आशंका को हवा देना चाहता है.